Ghazipur News : देश की सीमा पर तैनात सीआरपीएफ के जवान, गांव में ज़मीन के लिए जंग — दबंगों की धमकी: पत्थर और मेढ़बन्दी को उखाड़ फेंका, नहीं दर्ज हुआ FIR!

 


पक्की पैमाईश (धारा -24) पत्थर नसब के उपरांत लगायें गये पत्थर और मेढ़बंदी को दबंगों ने उखाड़ फेंका, नहीं दर्ज हुआ एफआईआर

गाजीपुर : देश की सरहद पर तैनात एक सीआरपीएफ जवान की पुश्तैनी ज़मीन को लेकर उसके गांव में ज़मीन माफिया जैसा माहौल खड़ा कर दिया गया है। कासिमाबाद कोतवाली क्षेत्र के सराय मुबारक गांव निवासी सेना के जवान विष्णुकान्त तिवारी वर्तमान में कश्मीर में तैनात हैं और सीमाओं पर देश की सुरक्षा कर रहे हैं। लेकिन, उनके अपने ही गांव में कुछ दबंग उनकी ज़मीन पर कब्जा करने की साजिश में लगे हुए हैं।

डीएम के शिक़ायती पत्र में बताया गया है कि विष्णुकान्त तिवारी ने मौजा सरायमुबारक स्थित गाटा संख्या 452, रकबा 0.6880 हेक्टेयर ज़मीन की पक्की पैमाइश और पत्थर नसब कराई थी, जो प्रशासन की मौजूदगी में की गई थी। परन्तु, उसी गांव के सामशेर राम, रविन्द्र, अनिल, संजय राम जैसे अराजक तत्वों ने पत्थर उखाड़ दिए और मेढ़बंदी तोड़ दी। जब इसका विरोध हुआ तो अभयनाथ तिवारी, अमित तिवारी और शिवमूरत तिवारी जैसे लोग भड़क उठे और जवान को जान से मारने की धमकी दे तक डाली।

इतना ही नहीं, दबंगों ने कहा कि – "जमीन पर कब्जा न करने देंगे, नौकरी नहीं करने देंगे और एक फर्जी एससी/एसटी का मुकदमा ठोक देंगे।"

सेना के जवान विष्णुकान्त ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत कासिमाबाद थाना और जिलाधिकारी अविनाश कुमार से की है। दिनांक 13 जून 2025 को उन्होंने डीएम और एसपी को भी प्रार्थना पत्र सौंपा, लेकिन अब तक प्रशासन मौन है और कोई कार्यवाही नहीं की गई। हैरानी कि बात तो यह है कि सदर एसडीएम मनोज पाठक ने बीते 13 जून को कासिमाबाद कोतवाल को एफआईआर दर्ज करने के लिए भी निर्देशित किया गया था लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज न होना यह गंभीर सवाल है।

इस संबंध में सदर एसडीएम के सीयूजी नंबर - 9454417075 पर दो बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन एसडीएम द्वारा फोन उठाना उचित नहीं समझा। 

सेना के जवान ने कहा है कि यदि जल्द कार्यवाही न हुई, तो स्थिति किसी गंभीर घटना में बदल सकती है और इसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। देश की सुरक्षा में दिन-रात लगा जवान यदि अपने घर की सुरक्षा के लिए गुहार लगाए और उसकी सुनवाई न हो — तो यह न केवल न्याय व्यवस्था पर सवाल है, बल्कि समाज के लिए गंभीर चेतावनी भी।

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