गाजीपुर : करंडा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सुआपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले एक पत्रकार को प्रताड़ित करने और उनकी छवि धूमिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि ग्राम प्रधान पति प्रकाश सोनकर, जिन्होंने हाल ही में मनरेगा योजना के अंतर्गत जेसीबी से पोखरी की खुदाई कराई थी, अब पत्रकार पर व्यक्तिगत हमले और साजिश के जरिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पत्रकार अमित उपाध्याय ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायत सुआपुर में हो रहे अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया, जिसके बाद से ही प्रधान पति प्रकाश सोनकर द्वारा उन्हें बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है।
विज्ञापन के नाम पर लेन-देन, फिर साजिश:
अमित उपाध्याय ने बताया कि नववर्ष पर ग्राम पंचायत में तैनात सचिव श्रीकांत झा के कहने पर और फिर होली पर्व पर ग्राम प्रधान पति प्रकाश सोनकर के आग्रह पर उन्होंने विज्ञापन प्रकाशित किया था। जब काफी समय बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ, तो उन्होंने भुगतान के बारे में पूछताछ की।
इसके जवाब में प्रधान पति ने कहा कि "जब पंचायत के अन्य भुगतान हो जाएंगे, तब आपको भी विज्ञापन का पैसा दे दिया जाएगा।" बाद में 27 जून को पंचायत भवन पर पहले दो हजार रुपये और फिर एक हार्डवेयर की दुकान पर एक हजार रुपये नकद दिए गए। अमित उपाध्याय ने आरोप लगाया कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया, जिसमें सीसीटीवी कैमरे के जरिए उन्हें पैसे लेते हुए रिकॉर्ड कर बदनाम करने की कोशिश की गई।
"कॉल रिकॉर्डिंग है सबूत के तौर पर":
पत्रकार ने दावा किया कि उनके पास ग्राम प्रधान पति की कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद है, जिसमें स्पष्ट रूप से बातों को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह पूरी साजिश कुछ अन्य पत्रकारों की मिलीभगत से भी रची गई है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम से असहज हैं।
"मेरे द्वारा लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है और आगे भी यह संघर्ष जारी रहेगा। लेकिन अब मुझे व्यक्तिगत निशाना बनाकर मेरी साख को मिटाने की कोशिश की जा रही है। यह लोकतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला है,"पत्रकार अमित उपाध्याय ने कहा।
भ्रष्टाचार की जांच में जुटी टीम:
गौरतलब है कि हाल ही में सुआपुर पंचायत में मनरेगा योजना के अंतर्गत पोखरी की खुदाई में घोटाले की आशंका जताई गई थी। इस मामले को उजागर किए जाने के बाद करंडा ब्लॉक के बीडीओ ने जांच टीम गठित की है, जो पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।
ग्राम प्रधान पति की भूमिका संदिग्ध:
मामले में प्रधान पति की भूमिका को लेकर स्थानीय लोगों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। गांव के कुछ जागरूक नागरिकों ने इस मुद्दे पर ब्लॉक प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि पत्रकार की आवाज को दबाने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है।
समाज के लिए गंभीर संकेत:
यह मामला केवल एक पत्रकार की छवि धूमिल करने का नहीं, बल्कि उन सभी आवाजों को दबाने का प्रयास है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाई जाती हैं। यदि ऐसे मामलों पर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो सच्चाई के पक्ष में खड़े होने वाले लोग हतोत्साहित होंगे।